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Perspective

कोविड-19 महामारी और वर्ग संघर्ष का वैश्विक पुनरुत्थान

2020 के आख़िरी महीने की शुरुआत पर, विश्व भर में कोविड-19 महामारी पर शासक वर्ग की स्वार्थी प्रतिक्रिया, पूंजीवादी शोषण को बढ़ाने में उसकी भूमिका और लोकतांत्रिक अधिकारों के विरुद्ध उसकी जुंग के खिलाफ श्रमिक वर्ग का प्रतिरोध फूट रहा है।

मंगलवार, 1 दिसंबर, 2020, प्रदर्शन के दौरान दिल्ली-हरियाणा राज्य सीमा पर एक प्रमुख राजमार्ग को अवरुद्ध करते हुए किसानों का मोर्चा I एक बुजुर्ग किसान नारे लगाता है, और दूसरों का ध्यान एक वक्ता की ओर है (एपी फोटो / अल्ताफ कादरी)

पिछले बारह दिनों के दौरान करोड़ों लोग हड़तालों अथवा सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं:

  • 26 नवंबर को, भारत भर में श्रमिकों ने हिंदुत्व विचारधारा वाली भ ज प सरकार की सामाजिक व आर्थिक नीतियों के विरोध में एक-दिवसीय आम हड़ताल करी। हड़ताल करने वालों ने उन हजारों लाखों ग़रीब श्रमिकों को आपातकालीन सहायता प्रदान करने की भी मांग करी I इन श्रमिकों को स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक-आर्थिक दुर्गति के बीच आत्मनिर्भर बनने के लिए छोड़ दिया गया है।

    एक ओर मार्च में लगाए गए १० हफ्ते के कोविड-१९ लॉक डाउन के दौरान वायरस फैलने के खिलाफ संसाधनों को गंभीरता से नहीं लगाया गया था I वहीं दूसरी ओर एक ही रात में हजारों-लाखों बेरोज़गार हुए श्रमिकों को किसी भी तरह की सामाजिक सहायता देने से इंकार कर दिया गया। उसके बाद बिना सोचे समझे लोगों को काम पे लौटा दिया गया जिसका परिणाम था बड़ी संख्या में वायरस का फैलना और लोगों की मौत।

    अर्थव्यवस्था के "विकास" के नाम पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विश्व के सभी देशों में से सामाजिक रूप से सबसे अधिक विषम बनाने वाली "प्रो-इन्वेस्टर" नामक नीतियों को दोगुना किया है। भ ज प सरकार ने अपने निजीकरण के अभियान को तेज़ किया है, अनिश्चित कॉन्ट्रैक्ट-लेबर रोज़गार के प्रोत्साहन के लिए इन्होंने भारतीय श्रमिक कानूनों को पुन: लिखा; मास-लेऔफ (संहति-सेवाविराम) के खिलाफ नीतियां और अधिक श्रमिक जॉब प्रतिक्रिया को गैर कानूनी करार दिया; और कृषि व्यवसाय पर पलने वाले छोटे किसानों को एक "बदलाव" की ऒर धकेला, जिसकी वजह से उनकी आजीविका अब बड़े व्यवसाय के हाथ में है।

    भारत भर से श्रमिकों की सहायता के साथ एक-दिवसीय विरोध हड़ताल ने मोदी और भ ज प के प्रभाव और मुस्लिम-विरोधी साम्प्रदायिकता को उभार कर श्रमिक वर्ग को बांटने वाले इस निर्दयी अभियान को एक गहरी चोट पहुँचाई है।

  • नवंबर 26 को हजारों-लाखों ग्रीक श्रमिकों ने भी अपने देश के अधिकतर सार्वजनिक क्षेत्र कामबंदी करी। हड़ताल करने वालों में शामिल शिक्षक, स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने वाले श्रमिक, डॉक्टर और परिवहन कर्मचारी, एक ऐसे कानून का विरोध कर रहे थे जो प्रतिदिन 8 घंटे कार्य को और हड़ताल करने के अधिकार को खारिज करेगा। कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए, हड़ताल करने वालों ने स्वास्थ्य सेवा स्टाफ में अधिक श्रमिकों को काम देने और निजी क्लीनिक जब्त करने की मांग रखी।

  • शनिवार, नवंबर 28 को फ्रांस में हजारों-लाखों लोग मैक्रोन सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन में शामिल हुए. विरोध का मुख्य कारण था एक नया कानून, जिसने पुलिस को फिल्म करना गैर-कानूनी बना दियाI फ्रांसीसी पुलिस हमेशा श्रमिक और वामपंथी विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए हमेशा हिंसा का इस्तेमाल करती है I विरोध प्रदर्शनों के विशाल रूप से विचलित होकर, सरकार ने अब बयान दिया कि वह इस विधेयक पर पुनः विचार करेगी। यह व्यापक गुस्सा पुलिस के बल से छुटकारा पाने से शुरू हुआ। येलो वेस्ट प्रदर्शनकारियों पर हमले करने के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों को अपंग बनाने वाले हमलों के लिए, एक भी ऑफिसर को आरोपित नहीं माना गया।

  • मेड्रिड (स्पेन ) में नवंबर 29 को कोविड-19 महामारी की भयानक "दूसरी लहर" के बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कटौती के विरुद्ध हजारों डॉक्टर और नर्सों ने विरोध प्रदर्शन किया। राष्ट्रवाद भड़काने के प्रयासों को खारिज करते हुए उन्होंने "फ्यूअर फ्लैग्स एंड मोर नर्सेज" यानी "कम झंडे और अधिक नर्सें" के नारे लगाए। पड़ोस के पुर्तगाल में, बच्चों के शिक्षक और प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूल के अध्यापकों ने दिसंबर 11, शुक्रवार को एक राष्ट्रीय हड़ताल की घोषणा की। कारण - काफी सालों से शिक्षा पर हुए हमलों और कोविद के खतरे से बचाने के लिए इनकार करने पर सरकार के खिलाफ गुस्सा।

  • चिली में, महामारी के खिलाफ लड़ाई में फ्रंटलाइन में खड़े 60,000 सरकारी स्वास्थ्य श्रमिकों ने संकट में स्वास्थ्य सेवा कटौती के विरुद्ध और लंबे समय से वादे के बोनस के वेतन की मांग और कार्य करने के बेहतर हालातों के लिए नवंबर 30, सोमवार को एक अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करी। दशकों से चली आ रही अंडरफंडिंग (अल्प निधीकरण) ने चिली की सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली को इतना नष्ट कर दिया है की पिछले मई और जून में जब महामारी अपने चरम पर थी तब श्रमिकों को अपने मास्क स्वयं ही सिलने पड़े थे।

    यह हड़ताल, राष्ट्र के नापसंदीदा अल्ट्रा-राइट (अति-दक्षिणपंथी) अरबपति राष्ट्रपति, सेबेस्तियन पिनेरा द्वारा सभी प्रकार की सामाजिक प्रदर्शनों के खिलाफ पुलिस हिंसा का इस्तेमाल करने के विरोध में, एक व्यापक श्रमिक वर्ग संगठन का एक हिस्सा है।

  • अमरीका में, हाल ही के दिनों और हफ्तों में नर्सों और अतिरिक्त श्रमिकों द्वारा अस्पतालों और नर्सिंग होम में अधिक वेतन, स्टाफ बढ़ाने और वैयक्तिक सुरक्षा उपकरण की लड़ाई में अनगिनत हड़ताल और प्रदर्शन आरंभ हो गए हैं। शिकागो में, उदाहरण के लिए, पिछले दो हफ्तों से 11 फॉर-प्रॉफिट नर्सिंग होमों में 700 असंतोषजनक वेतनभोगी केयरगिवर और अतिरिक्त स्टाफ हड़ताल पर हैं। स्वास्थ्य सेवा उद्योग के फायदे पर महामारी से लड़ाई और श्रमिकों की जीवन रक्षा को प्राथमिक मानने वाले नानाप्रकार के संघर्षों को एक व्यापक आंदोलन के रूप में एकीकरण से रोकने के लिए संघों को नाकाम करना ही एकमात्र तरीका है।

  • महामारी के प्रकोप संग जॉब काटकर, कार्य की गति को तेज़ कर, और बिना रुके श्रमिकों पर ज़ोर देकर उत्पादन बनाए रखने के द्वारा संक्रमणकालीन ऑटो जायंटों के मुनाफा बढ़ाने के अभियान का ऑटोश्रमिक विरोध कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया के जीएम और कीया के प्लांटों के श्रमिकों ने हाल ही के हफ्तों में अधिक वेतन और जॉब सुरक्षा की मांग करते हुए चार-घंटे की हड़ताल आरंभ करी हैं। इसी हफ्ते की शुरुआत में, जीएम के श्रमिकों ने पूरे एक-वर्ष के वेतन को स्थिर रखने वाले एक यूनियन द्वारा समर्थित समझौते को खारिज करने के साथ-साथ उनकी अन्य मुख्य मांगो को भी नाकारा है।

    भारत में, नवंबर 9 को टोयोटा की बीदादी कर्नाटका असेंबली प्लांट से जॉब छोड़ने वाले जिन 3,000 श्रमिकों को बाद में काम करने से रोक दिया गया था, वे सरकार के काम पर वापस जाने के आदेश का विरोध कर रहे हैं। वे श्रमिक मासिक उत्पादन बढ़ाने की कंपनी की मांग का विरोध करने के साथ-साथ 40 श्रमिकों के साथ हुए अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

    अमरीका में, महामारी के बीच असुरक्षित हालातों में ज़बरदस्ती कार्य करवाने की ऑटोमेकर और यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स के षड्यंत्र को हराने के लिए ऑटो श्रमिकों ने मुख्य ऑटो असेंबली और ऑटो पार्ट्स प्लांटों में रैंक-एंड-फाइल (साधारण कर्मी) रक्षा समिति का एक बढ़ते नेटवर्क का गठन किया है।

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2018 और 2019 ने दशकों बाद वार्ड संघर्ष का एक वैश्विक पुनरुत्थान देखा जिसे कॉरपोरेट ट्रेड यूनियनों, सामाजिक लोकतंत्रवादी, आने स्थापित "वामपंथी" पार्टियों और उनके कृत्रिम-वामपंथी सहकारियों द्वारा दबा दिया गया। फ्रांस, स्पेन, अल्जीरिया, ईरान और सूडान से दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, चिली, और कोलंबिया तक यूनियनों और "वामपंथी" पार्टियों के खिलाफ व्यापक हड़ताल और प्रदर्शन आंदोलनों के रूप में खुले विद्रोह हुए। अमरीका में, शिक्षकों की हड़तालों के दौरान रैंक एंड फाइल ने यूनियन प्रणाली का विरोध किया और 2019 की शरद ऋतु में दशकों में ऑटो श्रमिकों की पहेली राष्ट्रीय हड़ताल हुई।

पिछले साल सरकार-आदेशित कोविड-19 लॉकडाउन का एक मुख्य घटक शासक वर्ग का यह भय था कि वायरस के फैलाव को रोकने की प्रतिक्रिया की मांग, उत्तर अमरीका के ऑटो उद्योग जैसा वाइल्डकेट वर्कर जॉब एक्शन, एक सार्वजनिक व्यापक अशांति की चिंगारी भड़कायेगा।

मेमोरियल डे पर पुलिस द्वारा जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या ने पूरे अमरीका में व्यापक प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया जिसने सभी जातियों के श्रमिकों को एकीकृत किया और विश्व भर ने इसमेन भागेदारी की।

फिलहाल, दस महीनों बाद महामारी पर शासक वर्ग की आपराधिक लापरवाह प्रतिक्रिया से विश्व भर के देशों में व्यापक मृत्यु हुई और व्यापक सामाजिक संघर्ष पुनः उत्पन्न हो रहे हैं। मगर हालात अभी काफ़ी बदले हुए हैं।

इस महामारी ने विश्व के पूंजीतंत्र के वैश्विक संकट को काफी तेज़ किया है। केंद्रीय बैंकों और पूंजीवादी राज्य के अन्य अंगों द्वारा बाजारों में नकद की निरंतर आपूर्ति के प्रवाह के कारण मार्च से शासक वर्ग की संपत्ति में अद्वितीय वृद्धि हुई है। इसी बीच व्यापक रूप से नौकरियाँ छूटने के कारण श्रमिक वर्ग की आय में गिरावट आई है, जिनके लिए शुरुआती कोविड-19 लॉकडाउन के मापदंडों के साथ सरकारों द्वारा एक के बाद एक दुर्बल, एवं विश्व के कई भागों में अस्तित्वहीन, सहायता अभियान खोले गए हैं। इसके परिणामी सामाजिक कष्ट सुविचारित हैं। यह एक लाठी है जो श्रमिकों को असुरक्षित हालातों में कार्य करने के लिए वापस आने के लिए मजबूर करता है।

इस महामारी ने शासक वर्ग और उनकी सरकार के राजनैतिक और नैतिक प्रभुत्व को भी घातक रूप से कमज़ोर कर दिया है। और यह खासकर अमरीका में सच है, जहां पूंजीवादी वर्ग सबसे संपन्न और सबसे अधिक शक्तिशाली है। यूरोपीय पूंजीपति वर्ग ने भी बेशर्मी से मानव जीवन के ऊपर अपने मुनाफे को प्राथमिकता दी। यूरोपीय सरकारों, चाहे वह ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन की अध्यक्षता वाली स्पष्ट रूप से दक्षिणपंथी या स्पेन की तरह सामाजिक लोकतंत्रवादी और "वामपंथी-पापुलिस्ट" गठबंधन हो, ने काम पर वापस और स्कूलों में वापसी की मनुष्य घातक नीतियों का अनुसरण किया है।

श्रमिक वर्ग के आरंभिक राजनैतिक कट्टरपंथी से भयभीत होकर शासक वर्ग ने खुले रूप से अति-दक्षिणपंथ पार्टियों का समर्थन करना शुरू किया है। पिछले 11 दिनों के कई संघर्षों में श्रमिकों के संघर्षों को आपराधिक बनाने के लिए नए मानदंडों का लागू करना और राष्ट्र की दमनकारी ताकतों को बढ़ाना, इसका मुख्य प्रेरणादायक घटक है।

अमरीका में लोकतंत्र का भंग होने का एक और सबूत है, ट्रंप द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव के परिणाम को रद्द करने की कोशिश ताकि वह एक फ़ासिस्ट आंदोलन कर सके। किंतु यह एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है।

एक समाजवादी और अंतरराष्ट्रीय परियोजना के साथ श्रमिक वर्ग के सम्मिश्रण की बढ़ती वैश्विक लहर एक समीक्षात्मक प्रश्न है।

विश्व भर के श्रमिक सामान्य हालातों और समस्याओं का सामना कर रहे हैंi उनके विरुद्ध खड़ी है, एक वैश्विक आर्थिक अल्पजनाधिपत्य और उनकी अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेशन, जो वैश्विक श्रम बाजार का उपयोग करते हुए वेतन और कार्य करने के हालातों में गिरावट व्यवस्थित रूप से ला रहे हैं । महामारी के बीच श्रमिकों से मुनाफे का मंथन कराते रहने के साथ वैश्विक पूंजीतंत्र का संकट, श्रमिक वर्ग द्वारा भुगतान उनका मुख्य लक्ष्य है ।

श्रमिकों की जीत के लिए यह आवश्यक है कि वैश्विक उत्पादन की प्रक्रिया की उनकी निष्पक्ष एकता, एक सचेत रणनीति का रूप ले और इसको एक समन्वित तरीके से संघर्ष में लागू करें।

जैसा कि फोर्थ इंटरनेशनल की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने जून के एक बयान - "कोविड-19 महामारी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग प्रतिक्रिया के लिए!", - में बताया, इस संघर्ष की शुरुआत आज महामारी के विरुद्ध प्रतिक्रिया को पूंजीवादी वर्ग के हाथों से छीनकर स्वयं नियंत्रित करने से होगी I "अमीरों द्वारा एकत्रित करी गई महाकाय संपत्ति को ज़ब्त करना चाहिए जिसे महामारी को रोकने के लिए आपातकालीन उपायों में पूंजी का रुख मोड़ना और महामारी से प्रभावित लोगों को पूर्ण आय प्रदान करना चाहिए। अतिविशाल बैंकों और कॉर्पोरेशनों को श्रमिक वर्ग के एक न्यायसंगत और वैज्ञानिक योजना के आधार पर संचालित लोकतांत्रिक नियंत्रण में होना चाहिए। युद्ध और विनाश में लुटाए गए प्रचूर संसाधनों को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य सामाजिक ज़रूरतों को आर्थिक रूप से मदद करने की ओर मोड़ा जाना चाहिए।"

आपातकाल के दौरान और बाद, श्रमिकों को संघर्ष द्वारा पूर्ण रूप से पूंजीवादी ट्रेड यूनियनों - जो दशकों से कॉरपोरेट प्रबंधन और राष्ट्र संग घनिष्ट संबंध के साथ काम कर रहे हैं और आज श्रमिकों को असुरक्षित फैक्टरियों, स्कूलों और अन्य कार्यस्थलों में बड़ी मात्रा में ढकेल रहे हैं - के खिलाफ नए संगठन बनाने होंगे।

अमरीका में ऑटोवर्कर और शिक्षकों, ब्रिटेन और जर्मनी में ट्रांसपोर्ट वर्कर और शिक्षकों और ऑस्ट्रेलिया में शिक्षकों द्वारा रैंक एंड फ़ाइल रक्षा समितियों का गठन इसके संबंध में बढ़ता एक महत्वपूर्ण चरण दर्शाता है।

श्रमिक वर्ग की व्यापक सामाजिक ताकत और परिवर्तनकारी क्षमता को खोलने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है एक अंतर्राष्ट्रीय क्रांतिकारी पार्टी जो अपने प्रोग्राम और रणनीति में श्रमिक वर्ग के परिवर्तनकारी संघर्षों और उसके मार्क्सवादी सूत्रधार की सीख को निहित करे। ये वही प्रोग्राम है जिसपर फोर्थ इंटरनैशनल की अंतरराष्ट्रीय समिति और उसके राष्ट्रीय विभाग, द सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टीयाँ, लड़ती हैं। जो इस ज़िन्दगी और मौत की लड़ाई में भाग लेने के लिए सहमत और इच्छुक हैं, हम उनसे आग्रह करते हैं कि आज ही हमसे जुड़ने और सोशलिस्ट क्रांति की विश्व पार्टी के गठन के लिए हमसे संपर्क करें।

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