पिछले हफ़्ते दिल्ली और इस्लामाबाद में हुए धमाकों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा
इस्लामाबाद के केंद्र में 11 नवंबर को हुए आत्मघाती धमाके के लिए पाकिस्तान ने भारत को ज़िम्मेदार ठहराया है, जिसमें 12 लोग मारे गए जबकि दर्जनों घायल हुए हैं।
इस्लामाबाद के केंद्र में 11 नवंबर को हुए आत्मघाती धमाके के लिए पाकिस्तान ने भारत को ज़िम्मेदार ठहराया है, जिसमें 12 लोग मारे गए जबकि दर्जनों घायल हुए हैं।
अधिकांश भारतीय निर्यातों पर ट्रंप प्रशासन की ओर से थोपे गए 50 प्रतिशत टैरिफ़ ने महज तीन महीनों के अंदर ही तमाम उद्योगों में विनाशकारी रूप से नौकरियों पर गाज़ गिरा दी है।
एक सहकर्मी वर्कर ने कहा, "चाहे हमें कष्ट हो, चाहे घायल हों या विजयकुमार की तरह मशीन में फंस कर मर ही क्यों न जाएं- उनको इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। वो बस चाहते हैं कि हम ऐसे ही मरते रहें ताकि वे पैसा बना सकें।"
ममदानी के चुनाव प्रचार अभियान के लिए समर्थन, मज़दूरों और युवाओं के बीच एक वामपंथी झुकाव को दिखाता है, लेकिन ममदानी का प्रोग्राम, कुलीनतंत्र और तानाशाही के ख़िलाफ़ लड़ाई में आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं सुझाता।
इलाक़े के लिए भारतीय केंद्र सरकार के दमनकारी क़ानूनों का विरोध कर रहे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर 24 सितंबर को सुरक्षा बलों ने फ़ायरिंग की जिसमें चार लोग मारे गए और 150 से अधिक लोग घायल हुए।
तमिलानाडु के मिंजुर में हुई यह दुर्घटना, स्टालिवादी पार्टियों और ट्रेड यूनियनों की समर्थित केंद्रीय और राज्य की सरकारों द्वारा दशकों से क़ानून को ढीला करने और निजीकरण को बढ़ावा देने का नतीजा है।
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच एक हफ़्ते से भी ज़्यादा समय तक हुई झड़पों में सैकड़ों लोग मारे गए, लेकिन इसके बाद क़तर और तुर्की की मध्यस्थता में दोनों देश एक ऐसे संघर्ष विराम पर सहमत हुए जो बहुत नाज़ुक है.
10 अक्टूबर को गोला बारूद वाले प्लांट एक्युरेट एनर्जेटिक सिस्टम्स (एईएस) में विस्फोट हुआ और इससे 8,200 मील दूर बांग्लादेश में 14 अक्टूबर को एक गार्मेंट फ़ैक्ट्री में आग लगी, लेकिन दोनों दुर्घटनाओं का मूल कारण एक हैः मानवीय ज़िंदगियों पर कारपोरेट मुनाफ़े को प्राथमिकता देना।
स्टालिनवादी सीटू फ़ेडरेशन के साथ काम करने वाली मद्रास रबर फ़ैक्ट्री (एमआरएफ़) की कर्मचारी यूनियन (एमईयू) ने एमआरएफ़ प्लांट में अनिश्चितकालीन हड़ताल के साथ धोखा किया।
फ़िल्म स्टार से राजनेता बने विजय और उनकी नई नवेटी पार्टी टीवीके भयंकर ग़रीबी और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ गुस्से को भुनाने के लिए लोकलुभावन वायदे करके लोगों को आकर्षित करती है लेकिन अपने समर्थकों के प्रति उनके आपराधिक लापरवाही भरे व्यवहार ने उनकी प्रतिक्रियावादी राजनीति के वर्ग चरित्र को दुखद रूप से उजागर कर दिया है।
पर्यावरणीय रूप से विवादित प्रोजेक्ट को टालने के अपने चुनावी वायदे से पीछे हटने के बाद दिसानायके सरकार ने मन्नार के लोगों पर हमला बोला है।
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 12,000 नौकरियां ख़त्म करने के साथ ही अपने इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी को शुरू कर दिया है।
बड़े व्यवसाय परस्त डीएमके की तमिलनाडु सरकार ने निजीकरण के ख़िलाफ़ सफ़ाई कर्मियों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिसिया हिंसा का बार बार इस्तेमाल किया है, जबकि स्टालिवादी सीपीएम ने इसी सरकार को लंबे समय से 'प्रगतिशील' बताती आ रही है.
हालांकि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच एक कमज़ोर संघर्षविराम हो गया, लेकिन भारत सिंधु जल समझौते को निलंबित करना जारी रखा है और नई दिल्ली अब खम ठोंक रही है कि वह इस समझौते के मौजूदा स्वरूप पर वह अब कभी नहीं लौटेगी।
हालांकि शुरुआती गुस्सा, पिछले हफ़्ते 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर लगाए गए सरकारी बैन से पैदा हुआ था, लेकिन ये प्रदर्शन असल में अवसरों की कमी, भ्रष्टाचार और अमीर व ग़रीब के बीच बढ़ती सामाजिक खाई को लेकर व्यापक हताशा को प्रतिबिम्बित करते हैं।
हालांकि इस शिखर सम्मेलन के लिए 20 से अधिक नेता जुटे थे लेकिन सात सालों में पहली बार चीन में भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने वॉशिंगटन के कान खड़े कर दिए।
टैरिफ़ ने धीमी होती विकास दर के संकट से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को और बुरी तरह अस्थिर करने का ख़तरा पैदा कर दिया है जबकि पहले ही यह निजी क्षेत्र की ओर से कम निवेश, सामूहिक बेरोज़गारी और अर्द्धबेरोज़गार की समस्याओं से जूझ रही है।
यह सौदा हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के ख़िलाफ़ नई दिल्ली के रणनीतिक दबदबे का प्रसार है।
अमेरिकी साम्राज्यवाद के वैश्विक और भूराजनीतिक दबदबे के तेज़ी से ख़त्म होने को रोकने की हड़बड़ी में ट्रंप, वॉशिंगटन के कट्टर सहयोगियों को, अपने रणनीतिक दुश्मनों की तरह ही धमकी दे रहे हैं, धौंस जमा रहे हैं और हमला बोल रहे हैं।
हड़तालियों ने कार्य दिवस को बढ़ाने, अनिश्चित ठेका-मज़दूरी वाली नौकरियों को बढ़ाने, निजीकरण, सार्वजनिक सेवाओं के हनन और ऐसे क़ानून के प्रति अपना विरोध जताया जो अधिकांश हड़तालों को अवैध बना देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन काल में औद्योगिक दुर्घटनाओं में बेतहाशा इजाफ़ा हुआ है क्योंकि वैश्विक पूंजीवादी हितों के साथ मोदी सरकार की गलबहियां ने मज़दूरों की सुरक्षा और ताक पर रख दिया है।
बंदूक की नोक पर जिन लोगों को निष्कासित किया जा रहा है, उनमें रोहिंग्या शरणार्थी और बांग्लादेश से आए ग़रीब प्रवासी शामिल हैं, साथ ही गरीबी से त्रस्त कई मुसलमान भी शामिल हैं, जो पीढ़ियों से भारत में रहते आए हैं।
नई दिल्ली की मुख्य चिंता है भारत-अमेरिकी रणनीतिक गठबंधन को और बढ़ाना जारी रखना, और इसीलिए उसने भारतीय पूंजीपति वर्ग की महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने की खातिर, वॉशिंगटन के समर्थन के बदले में, चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी साम्राज्यवाद की आक्रामकता में खुद को और अधिक शामिल कर लिया है।
कुछ अनुमानों के अनुसार, पाकिस्तान की 90 प्रतिशत आबादी सिंधु के जल पर निर्भर है।
एयर इंडिया विमान के भीषण क्रैश के जो भी आधिकारिक कारण रहे हों, मोदी सरकार और बोइंग दोनों ही पैसेंजर सेफ़्टी की बजाय कार्पोरेट हितों को बचाने में जुटे हुए हैं।
इस समझौते को डीएमके की तमिलनाडु राज्य सरकार के दबाव में किया गया, जोकि ग़रीबी के स्तर की मज़दूरी और काम के क्रूर हालात को चुनौती देने वाले सैमसंग वर्करों का पूरे ज़ोर से विरोध किया क्योंकि उसे डर था कि उनके जुझारूपन का उदाहरण निवेशकों को डरा देगा।
आम हड़ताल को रद्द करने को सही ठहराते हुए यूनियनों ने, पाकिस्तान के साथ भारतीय बुर्जुआजी के प्रतिक्रियावादी रणनीतिक संघर्ष के प्रति अपना खुलेआम समर्थन ज़ाहिर किया और खुद को देश की ज़िम्मेदार देशभक्त जनता का अभिन्न हिस्सा बताया.
भारत और पाकिस्तान, दक्षिण एशिया के दो प्रतिद्वंद्वी परमाणु हथियार संपन्न शक्ति हैं और एक दूसरे के ख़िलाफ़ पूर्ण युद्ध की कगार पर हैं। अगर ऐसा संघर्ष होता है तो यह बहुत ही विनाशकारी होने वाला है, केवल इस क्षेत्र के दो अरब लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए।
दोनों ओर के नेताओं और सैन्य नेतृत्व की ओर से बढ़ती धमकियों के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने परमाणु संघर्ष छिड़ने की आशंका जताई है।
इस्लामाबाद ने चेतावनी दी है कि अगर भारत ने पाकिस्तान का पानी रोका, जिस पर कि इसके पॉवर ग्रिड और सिंचाई नेटवर्क निर्भर हैं, तो इसे 'एक्ट ऑफ़ वॉर' यानी जंग का एलान समझा जाएगा।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके ने दक्षिण एशिया में वॉशिंगटन के मुख्य रणनीतिक साझेदार नई दिल्ली के साथ पूर्ण सहयोगी की गारंटी दी है, जबकि दूसरी तरफ़ अमेरिका ने चीन के साथ टकराव में और तेज़ी ला दी है।
ज़रूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने की कोशिशों पर सत्तारूढ़ जुंटा की ओर से लगाई जा रही रोक के बीच बचाव कर्मी और ज़िंदा बचे लोगों ने बताई भयानक दास्तान।
छह महीने में यह दूसरी बार है जब सीटू ने बिना वर्करों की मांग पूरी हुए ही, भारत के तमिलनाडु में स्थित सैमसंग फ़ैक्ट्री के वर्करों की जुझारू हड़ताल को अचानक ख़त्म करा दिया।
हड़ताली कार्रवाइयों में महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी के जारी रहने के बावजूद यूनियन सदस्यता में शून्य वृद्धि, दरअसल कारपोरेट परस्त अमेरिकी ट्रेड यूनियनों को उसके दक्षिणपंथी आचरण की सज़ा है।
केरल की सबसे कम तनख्वाह पाने वाली और मुख्य रूप से महिला बहुत ग्रामीण सार्वजनिक स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल का पांचवां हफ़्ता पूरा होने जा रहा है।
मज़दूरों को ट्रेड यूनियन नौकरशाही पर भरोसा नहीं करना चाहिए, जोकि पूंजीवादी सरकार का एक उपकरण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पूंजी का समर्थक हो गई हैं।
सैमसंग वर्करों को एक ऐसी स्वतंत्र रैंक एंड फ़ाइल कमेटी बनाकर अपने संघर्ष को हाथ में लेने की ज़रूरत है जो परमानेंट, कांट्रैक्ट और टेंपरेरी वर्करों को एकजुट करने के लिए संघर्ष करेगी और उनके संघर्ष को व्यापक बनाएगी।
पिछले चार हफ़्तों की परिघटनाओं ने साबित किया है कि ट्रंप की वापसी, असल में अमेरिकी समाज के कुलीन तंत्र वाले चरित्र के साथ कदमताल करने के लिए राजनीतिक अधिरचना में जबरिया फेरबदल का प्रतिनिधित्व करती है।
भारत के 2025-26 के बजट ने कारपोरेशनों के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी मुहैया कराई है और मुट्ठी भर अमीरों के लिए टैक्स में कमी है। साथ ही इसमें मिलिटरी खर्च को बढ़ाया गया है ग़रीब मज़दूरों और मेहनतकश आबादी के लिए होने वाले सामाजिक ख़र्चों में कटौती कर दी गई है।
जब भारत में लोगों के एक साथ आने की बात आती है और अन्य जगह भी, तो अक्सर उस एकता की राह में विभिन्न संस्कृतियां, भाषाएं और पहचान आड़े आ जाती है।
बॉउमैन के मौत की सज़ा, 2011 से साउथ कैरोलाइना में तीसरी सज़ा है, जब राज्य ने अनाधिकारिक तौर पर मौत की सज़ा देनी रोक दी थी क्योंकि फ़ार्मास्युटिकल कंपनियों ने ज़हरीले इंजेक्शन की सप्लाई बंद कर दी थी, जनता में इस इंजेक्शन से होने वाले कष्ट को लेकर असंतोष पनपने लगा था।
पायल कपाड़िया की वर्ग चेतन फ़िल्म ने आम लोगों की ज़िंदगी को पर्दे पर उतारने के लिए डाक्युमेंट्री और काल्पनिक कथा तकनीकों को मिलाकर नाटकीय रूप दिया है, समकालीन सिनेमा में ऐसा चित्रण दुर्लभ है।
पूंजीवादी व्यवस्था के अंतरसंबंधित संकट के पीछे एक कुलीनतंत्र है, जो पूरे समाज को अपने लाभ और निजी दौलत इकट्ठा करने के लिए अपना ग़ुलाम बना लेता है। इस कुलीनतंत्र के ख़िलाफ़ संघर्ष, अपनी प्रकृति में ही एक क्रांतिकारी कार्यभार है।
माओवाद, कास्त्रोवाद और सिंहला लोक लुभावन पर आधारित पेटी बुर्जुआ संगठन जेवीपी ने बहुत पहले ही चीन समर्थक और अमेरिका विरोधी बयानबाज़ी को त्याग दिया था।
एसडीओ पर पुलिसिया हमला पूरे मज़दूर वर्ग के लिए चेतावनी है। जेवीपी/एनपीपी सरकार आईएमएफ़ के खर्च कटौती उपायों को पूरी तरह लागू करने को चुनौती देने वाली मज़दूरों की किसी भी कार्रवाई को कुचलने में हिचकेगी नहीं।
26 नवंबर को निहत्थे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के जनसंहार के बाद, पाकिस्तान की मुस्लिम लीग की अगुवाई वाली अल्पमत सरकार और अमेरिकी शह वाली देश की सेना ने, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पीटीआई के समर्थकों के ख़िलाफ़ क्रूर कार्रवाई को जारी रखा है।
अगले बजट का मतलब होगा टैक्स, सुविधाओं की दर और ईंधन क़ीमतों में और बढ़ोत्तरी, साथ ही ज़रूरी सार्वजनिक सेवाओं में कटौती और सरकारी कंपनियों की तेज़ बिकवाली भी होगी, जिससे लाखों नौकरियां जाएंगी।
अमेरिकी विदेश नीति, ख़ासकर रूस और चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी-नेटो की जंग की योजनाओं में साथ न देने के लिए इमरान ख़ान जेल में क़ैद हैं।
बड़े उद्योग परस्त डीएमके सरकार के एजेंट के रूप में काम करते हुए स्टालिनवादियों की अगुवाई वाले सीटू ने ऐसे समय हड़ताल को ख़त्म कराया जब यह तमिलनाडु और पूरे भारत में वर्ग संघर्ष का यह प्रमुख मुद्दा बन रहा था.
तमिलनाडु की डीएमके सरकार और सैमसंग मैनेजमेंट के सामने घुटने टेकते हुए स्टालिनवादी ट्रेड यूनियन फ़ेडरेशन सीटू ने सैमसंग के 1500 वर्करों की हड़ताल को अचानक ही ख़त्म करा दिया।
ओटावा ने नई दिल्ली आरोप लगाए हैं कि भारत सरकार के अधिकारियों और ख़ुफ़िया एजेंटों ने कनाडा की धरती पर धमकी और मर्डर का अभियान चलाने के लिए आपराधिक गिरोहों के साथ मिलकर साज़िश रची। उसने इसके बारे में "बहुत स्पष्ट और विश्वसनीय" जानकारी होने की बात कही। इसके बाद से कनाडा और भारत के बीच राजनयिक रिश्ते पूरी तरह खटाई में पड़ गए हैं।
शुरुआत से ही जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत को लेकर कई गंभीर मुद्दे खड़े किए हैं लेकिन इन्हें सबसे संकीर्ण और प्रतिक्रियावादी क़ानून व्यवस्था की मांगों के पक्ष में लगातार किनारे लगाया गया।
मज़दूरों की बिना किसी मांग के माने और रैंक एंड फ़ाइल से बिना चर्चा के सीटू ने हड़ताल समाप्त कर दी। मज़दूरों की मांग थी कि सीटू से संबद्ध सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन को कंपनी और सरकार मान्यता दे।
आबादी की जायज शिकायतों को जिस बर्बरता के साथ इस्लामाबाद कुचने की कोशिश कर रहा है उसने बलोची राष्ट्रवादी ग्रुपों और अलगवादी विद्रोहियों की संख्या में घी का काम किया है और इसकी वजह से हिंसा अपने नए स्तर पर पहुंच गई है।
प्रसन्ना विथानागे कहते हैं कि श्रीलंका में बड़े पैमाने पर हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन "हमारे समाज में वास्तविक वर्गीय मतभेदों और अमीरों एवं ग़रीबों के बीच विभाजन का नतीजा था।"
'पैराडाइज़' एक मार्मिक और दिल के तार झकझोरने वाली फ़िल्म है जो श्रीलंका के सामाजिक रिश्तों की बहुत सारी परतें खोलती है और पूरी दुनिया में वर्करों और युवाओं की कहानी बयां करती है।
यह उपन्यास और फ़िल्म केरल से आने वाले एक मलयाली व्यक्ति की ज़िंदगी की वास्तविक कहानी से प्रेरित है, जिसे 1990 के दशक की शुरुआत में सऊदी अरब में बकरी चरवाहे के रूप में ग़ुलाम बना लिया गया था।
चेन्नई के बाहर दूध की एक सरकारी फ़ैक्ट्री के कन्वेयर बेल्ट में फंस कर हुई उमारानी की मौत ने निजी और सरकारी कंपनियों में ख़तरनाक़ काम के हालात को एक फिर से सामने ला दिया है।
साल 2022 में श्रीलंका में और 2024 में बांग्लादेश में जनता की बग़ावत उसी वैश्विक पूंजीवादी संकट से पैदा हुआ, जिससे हर देश प्रभावित है। आगे क्रांतिकारी संघर्ष के लिए तैयारी करने में मज़दूर वर्ग को इससे ज़रूरी राजनीतिक सबक निकलते हैं।
फिर से चुनी गई मोदी की बीजेपी सरकार साम्प्रदायिकता को भड़का रही है, विरोधी नेताओं का उत्पीड़न कर रही है, वॉशिंगटन के चीन के ख़िलाफ़ भड़काऊ सैन्य रणनीति में भारत की साझेदारी को और विस्तारित कर रही है और निवेशक समर्थक मज़दूर विरोधी नीतियों को लागू कर रही है।
यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार एक दक्षिणपंथी पूंजीवादी सरकार होगी, जिसका मल्टीनेशनल गार्मेंट उद्योग के बड़े खिलाड़ियों, अन्य विदेशी निवेशकों और बांग्लादेश के पूंजीपति वर्ग से गहरा याराना है।
सोमवार को टेलीविज़न पर दिए गए राष्ट्र के नाम संबोधन में आर्मी चीफ़ जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने घोषणा की कि शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
क़त्ल के फर्ज़ी आरोपों में जिन 13 भारतीय ऑटोवर्कर्स को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई थी उनमें से एक अमरजीत ने कहा, "बोगडान सायोरटुक ने न तो कुछ ग़लत किया और न कुछ ग़लत कहा था।" उन्होंने कहा, "उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग के लिए संघर्ष किया। उन्होंने मज़दूरों की सत्ता के लिए लड़ाई लड़ी और अभी भी लड़ रहे हैं।"
हमले का कारण जो भी कुछ हो, एक बात निश्चित हैः यह पूरे राजनीतिक सत्तातंत्र को दक्षिणपंथ की ओर तेजी से मोड़ देगा।
मज़दूर, जापान की अंतरराष्ट्रीय ऑटो निर्माता कंपनी, पुलिस, अदालतें और हरियाणा और भारत सरकार की साज़िश का शिकार हैं। उनका एकमात्र 'अपराध' यही है कि उन्होंने भारत के वैश्विक स्तर पर जुड़े ऑटो उद्योग में शॉप फ़्लोर पर आम हो चुके काम के बर्बर हालात को चुनौती दी थी।
मार्च 2020 में मोदी सरकार द्वारा कोविड-19 लॉकडाउन थोपने के बाद भारतीय जनता द्वारा झेली गईं भयानक दुश्वारियों से यह फ़िल्म खोलती है उठाती है।
गुरुवार रात को अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट अमेरिकी राजनीतिक परम्पराओं के हिसाब से भी पतन, प्रतिक्रिया और मूर्खता का तमाशा था।
सोमवार को जूलियन असांज ब्रिटेन की बेलमार्श जेल से आज़ाद रिहा हो गए। अमेरिका की अगुवाई वाली साम्राज्यवादी सरकारों के अपराधों को उजागर करने के लिए, उनके द्वारा रची गई साज़िश के कारण असांज को पांच साल जेल में गुज़ारना पड़ा और 15 साल उत्पीड़न झेलना पड़ा।
"रूस के लिए काम करने के फर्जी आरोपों में बोगडान सायरोटुक को कैद कर अमानवीय हालात में रखे जाने की हम कड़ी निंदा करते हैं। कॉमरेड बोगडान के ख़िलाफ़ लगाए गए इस फर्जी मामले को तुरंत वापस लिया जाए।" - धनेश, रनॉल्ट-निसान फ़ैक्ट्री वर्कर, चेन्नई
गुरुवार, 13 जून को सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के अंतरराष्ट्रीय संपादकीय बोर्ड की ओर से यह चिट्ठी वॉशिंगटन डीसी में यूक्रेन के राजदूत ओक्साना मारकारोवा को सौंपी जाएगी।
चुनावों ने यह रेखांकित किया है कि मोदी सरकार, अजेय शक्ति होने की बजाय एक भयंकर संकट वाला शासन है जो एक राजनीतिक और सामाजिक ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठी है।
"ग़ज़ा की जनता के साथ जो इसराइल कर रहा है वो स्पष्ट रूप से जनसंहार और युद्ध अपराध है। नेतन्याहू प्रशासन ने मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन किया है।"- बांग्लादेशी छात्र।
अपनी सदस्यता बढ़ाने, सामाजिक बराबरी के लिए अंतरराष्ट्रीय युवाओं एवं छात्रों की लामबंदी करने और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के लिए अपने राजनीतिक विश्लेषणों में विस्तार करने और तमिल एवं सिंहली में मार्क्सवादी साहित्य के अपने प्रकाशन के लिए एसईपी ने एक महात्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की है।
2022-23 में भारत की 1% आबादी की जेब में कुल राष्ट्रीय कमाई का 22.6 प्रतिशत गया और कुल राष्ट्रीय दौलत के 40.1 प्रतिशत हिस्से पर उनका कब्ज़ा था।
मज़दूरों के संघर्ष को रोकने और उन्हें पूंजीवादी पार्टियों का ग़ुलाम बनाने की ट्रेड यूनियन नेताओं की कोशिशों को हर क़ीमत पर ख़ारिज़ करना होगा। मज़दूर अपनी औद्योगिक और राजनीतिक ताक़त को सिर्फ तभी लामबंद कर सकते हैं जब वे पूंजीवादी पार्टियों और ट्रेड यूनियनों से अलग स्वतंत्र रूप से संगठित हों।
भारत में शुक्रवार को 100 लोकसभा क्षेत्रों में पहले चरण का मतदान होगा। सात चरणों में हो रहा आम चुनाव एक जून को सम्पन्न होगा।
राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ तिकड़मी और फ़र्ज़ी आरोपों का इस्तेमाल करने के लिए मोदी सरकार कुख्यात है. लेकिन 2024 का चुनाव क़रीब आते ही, अपने बुर्जुआ विरोधियों पर हमले, सामाजिक विरोध का दमन और सांप्रदायिकता भड़काने के लिए अपने पास मौजूद सभी संस्थाओं का हर तरह से इस्तेमाल करने में मोदी सरकार और बेहयाई पर उतर गई है.
विश्व बैंक के इशारे पर किए गए आर्थिक सुधारों ने, श्रीलंकाई सरकारी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का निजीकरण करने और बड़े पैमाने पर नौकरियों को ख़त्म करने के साथ कड़ी मेहनत से होने वाली कमाई और काम के हालात पर और तीखा हमला बोला है.
लगातार चीन विरोधी आक्रामकता को बढ़ाते हुए भारत, बीजिंग को चौतरफा घेरने के लिए वॉशिंगटन के पालतू कुत्ते जैसा व्यवहार कर रहा है.
कुछ चंद अरबपतियों के हाथ में जमा हुई अकूत दौलत का ख़ात्मा होना चाहिए और इन पैसों का इस्तेमाल करोड़ों भारतीय मज़दूरों और ग़रीबों की दयनीय जीवन स्थियों को सुधारने में किया जाना चाहिए.
एक तरफ़ श्रीलंकाई सरकार ने एक भारतीय पनडुब्बी का स्वागत किया है और चीन के रिसर्च जहाज को अपने यहां आने से मना कर दिया है, वहीं मालदीव प्रशासन ने चीनी पोतों के लिए अपने बंदरगाहों को खोल दिया है.
नेल्ली जनसंहार में भारत की मौजूदा सत्तारूढ़ हिंदू बर्चवस्ववादी बीजेपी ने बड़ी भूमिका निभाई थी. बांग्लादेश से आए बेहद ग़रीब विस्थापित शरणार्थियों के ख़िलाफ़ "अवैध विदेशी" के नाम पर बड़े पैमाने पर सामप्रदायिक भड़काऊ अभियान के कारण यह जनसंहार हुआ था.
यह घोषणा भारतीय मज़दूरों के अंदर इसराइली जनसंहार के ख़िलाफ़ गहरे गुस्से का संकेत है. क्योंकि इसराइल अमेरिका के दिए हथियारों और वॉशिंगटन के पूर्ण राजनीतिक समर्थन से हज़ारों फ़लस्तीनियों पर कहर ढा रहा है.
मोदी सरकार ने हज़ारों पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को तैनात कर, कंक्रीट के बड़े बड़े ब्लॉक और कंटीले तारों से कई स्तरों वाले बैरिकेड खड़े कर, इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध लगाकर और ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराकर एक तरह से किसानों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी है.
पीटीआई के उम्मीदवारों के स्वतंत्र रूप से खड़ा होने के बावजूद, पार्टी के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अधिकांश सीटें जीतीं.
किसानों के ख़िलाफ़ दमन के लिए सरकार दसियों हज़ार पुलिस और अर्द्धसैनिक बल लगाने के अलावा राज्यों की सीमाओं पर कई स्तर की नाकेबंदी खड़ा करने और किसानों पर ड्रोन से आंसू गैस गोले बरसाने के हथकंडे इस्तेमाल कर रही है.
बीते रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने कांग्रेस पार्टी नीत इंडिया गठबंधन ब्लॉक को चकमा दिया और उसी दिन हिंदू बर्चस्ववादी बीजेपी नीत एनडीए के साथ फिर से गठबंधन कर लिया.
ग़ज़ा पर जनसंहारक हमले को बढ़ाने वाले इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनकी धुर दक्षिणपंथी सरकार और उसकी यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने वाले स्टेपान बांडेरा के फासीवादी गुर्गों के साथ साठगांठ का खुल कर समर्थन करने के लिए साम्राज्यवादी शक्तियां हिंदू बर्चस्ववादी और जनसंहारक मोदी को गले लगा रही हैं.
विपक्षी गठबंधन के सबसे उत्साही घटक स्टालिनवादी पार्टियां हैं, जो इसके मक़सद को पूरा समर्थन दे रहे रही हैं. यह मक़सद है, भारतीय बुर्जुआज़ी को एक वैकल्पिक, दक्षिण पंथी सरकार का विकल्प देना.
सोमवार का उद्घाटन समारोह सिर्फ धार्मिक जुमलेबाज़ी और सांप्रदायिक प्रतिक्रिया से कहीं अलग है. यह भारत को हिंदू राष्ट्र या राज्य में बदलने की फ़ासीवादी परियोजना को साकार करने के लिए एक ऐतिहासिक अपराध का महिमामंडन है.
पिछले महीने सरकारी सशस्त्र बलों द्वारा 24 साल के बालाच मोला बख़्श की ग़ैर न्यायिक हत्या के ख़िलाफ़ लोगों का फिर से गुस्सा फूट पड़ा है.
भारतीय सत्ता तंत्र में दशकों तक अपनी 'वामपंथी' पक्ष की भूमिका के चलते भारतीय स्टालिनवादी, पूंजीवादी राजनीति और महाशक्तियों के कूटनीतिक प्रतिक्रियावादी खांचे के अंदर ग़ज़ा में ग़रीब फ़लस्तीनियों के जनसंहार के ख़िलाफ़ मज़दूरों और नौजवानों के विरोध को बांधने की कोशिश कर रहे हैं.
एसईपी ने श्रीलंका और अंतरारष्ट्रीय स्तर पर कार्यकर्ताओं, नौजवानों और छात्रों से अपील की है कि वो राजनीतिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से जारी रखने के इसके लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा करें.
भारत की अमेरिका की ओर झुकी हुई, हिंदू श्रेष्ठतावादी सरकार ने भारत के कब्ज़े वाले कश्मीर में चौतरफा घिरे और बमबारी का सामना कर रहे गज़ा के फ़लस्तीनी लोगों के समर्थन की सभी अभिव्यक्तियों पर पाबंदी लगा रखी है और वहां पांच लाख भारतीय सेना दशकों से चल रहे बर्बर दमन को जारी रखे हुए है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर यह शर्मनाक हमला, बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों पर मोदी सरकार के लगातार बढ़ते हमले और नॉन-स्टाप हिंदू साम्प्रदायिक उकसावेबाज़ी अभियान का हिस्सा है.
हर देश में मज़दूर वर्ग द्वारा हड़तालें और प्रदर्शन की अन्य कार्यवाहियों के लिए डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस का आह्वान. शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित करने और कॉलेज और हाईस्कूल छात्रों की ओर से तात्कालिक एकजुटता प्रदर्शन का हम आह्वान करते हैं.
फासीवादी सरकार के एक और कदम के रूप में भारत सरकार वामपंथी समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक को धमकाने और चुप कराने के लिए बुनियादी मानवाधिकारों को कुचल रही है.
16 जून की शाम को लियोन ट्रॉटस्की के नाती एस्टेबैन वोल्कोव के देहांत पर चौथे इंटरनेशनल की इंटरनेशनल कमेटी भारी दुख जताती है. वो 97 साल के थे.
यूक्रेन में युद्ध को भरपूर हवा देते हुए, अमेरिकी साम्राज्यवाद चीन के साथ हिंसक टकराव के लिए कमर कस रहा है. क्योंकि चीन को उसने अपना प्रमुख रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी घोषित कर रखा है.
रूस के ख़िलाफ़ अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य गठबंधन के तेजी से फैल रहे युद्ध में लिथुआनिया के विलनियस में 11-12 जुलाई को नेटो की बैठक आग में और घी डालेगी.