हिन्दी

पेन्सिलवेनिया, मैरीलैंड और ओहियो में शिक्षकों ने मारुति सुजुकी के श्रमिकों के संघर्ष का समर्थन किया

पेंसिल्वेनिया के शिक्षकों की जनसाधारण सुरक्षा कमेटी में पेन्सिलवेनिया, मैरीलैंड और ओहियो के शिक्षक शामिल हैं और वे हर गुरुवार शाम 7:30 बजे अपनी बैठक आयोजित करते हैं। हम पूरे क्षेत्र के शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों को हमारी समिति में शामिल होने के लिए साइन अप करने  और हमारी अगली बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं।

पिछले गुरुवार को, हमारी समिति ने भारतीय पुलिस की निगरानी में मारे गए भारतीय मारुति सुजुकी के कर्मचारी जियालाल की दुखद मौत पर चर्चा की। हमने शोषण की क्रूर परिस्थितियों का प्रतिरोध संगठित करने के संघर्ष के कारण मारुति सुजुकी के श्रमिकों को झूठे आरोप में फंसाने और कारावास में डालने के इतिहास की समीक्षा की। चर्चा के बाद सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया।

पुलिस ने झूठे मामले में मारुति सुजुकी के कर्मचारियों को हिरासत में लिया

पेंसिल्वेनिया के शिक्षकों की जनसाधारण सुरक्षा कमेटी भारतीय मारुति सुजुकी के कर्मचारी जियालाल की भारतीय पुलिस की निगरानी में मौत की निंदा करती है और शोक व्यक्त करती है। हम मारुति सुजुकी के कर्मचारी पवन दहिया की मृत्यु पर भी शोक व्यक्त करते हैं, जिनकी उनके अपने ही खेत में बिजली का करंट लगने से मृत्यु हो गई थी, और मारुति सुजुकी के शेष 11 कर्मचारियों की रिहाई के लिए संघर्ष को अपना समर्थन देने का संकल्प लेते हैं।

जियालाल को, जिनको अस्थि कैंसर होने का पता चला था, एक ऐसे अपराध के कारण, जो उसने किया ही नहीं था, चिकित्सा उपचार से वंचित कर दिया गया और मरने के लिए छोड़ दिया गया। मृत्यु के समय वह सिर्फ 35 साल के थे। घर पर उनके अंतिम कष्टदायी वर्ष के दौरान, पुलिस ने उनका और उनके परिवार के लोगों का पीछा किया और उन्हें वापस जेल भेजने की धमकी दी, जिसके परिणाम स्वरुप उनके पिता की दुखद मृत्यु हो गई थी।

वह मारुति सुजुकी के उन 13 कर्मचारियों में से एक थे, जिन्होंने अपनी कंपनी द्वारा संचालित यूनियन के नियंत्रण से मुक्त होने के लिए एक जुझारू संघर्ष का नेतृत्व किया और अपनी खुद की यूनियन बनाई, वर्ष 2012 में उस भयानक शोषणकारी स्थिति को, जिसे उन्हें और उनके हजारों सहकर्मियों को सहने को मजबूर होना पड़ता है, समाप्त करने के लिए एक संघर्ष का नेतृत्व किया।

इस संघर्ष के जवाब में, जो पूरे क्षेत्र के कार्यस्थलों में फैलने की ओर बढ़ रहा था, प्रबंधन ने कारखाने में आग लगने की घटना में कर्मचरियों को फंसाया, जिसके बारे में पता नहीं लग सका कि आग कैसे लगी और उस घटना में मानव संसाधन प्रतिनिधि की मृत्यु हो गई थी।

मजदूरों के खिलाफ बिना किसी सबूत के कंपनी, अदालतों, यूनियनों, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राज्य की कांग्रेस पार्टी ने बदले की भावना से मजदूरों को हत्या का दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कंपनी ने गिरफ्तारी के लिए पुलिस को कर्मचारियों की सूची प्रदान किया, श्रमिकों की गवाही को सुनवाई से बाहर रखा गया, और सबसे बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए, सबूत प्रस्तुत करने का बोझ श्रमिकों पर डाल दिया गया।

जियालाल को उनकी पहली गिरफ्तारी के दौरान बेरहमी से पीटा गया था और उन्हें मारुति सुजुकी के अन्य कर्मचारियों के साथ जेल में भयानक परिस्थितियों में रखा गया था।

मामले में झूठे फंसाए गए मारुति सुजुकी के 13 पीड़ितों में से वह दूसरे व्यक्ति हैं जिनकी मृत्यु हुई है। इससे पहले, फरवरी 2021 में, 37 वर्षीय पवन दहिया की उनके खेत में स्थित कुएं में लगे एक स्पष्ट रूप से दोषपूर्ण सबमर्सिबल पंप से करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। भारत में कोविड-19 के तेजी से फैलने के कारण मारुति सुजुकी के कर्मचारियों की कुछ अवधि के लिए अस्थायी रिहाई के दौरान पवन पैरोल पर जेल से बाहर था। अजमेर सिंह, जो जेल में बंद होने से पहले मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन (एमएसडब्ल्यूयू) के कानूनी सलाहकार थे, कैंसर से जूझ रहे हैं। सभी शासक वर्गीय न्याय के शिकार हैं।

अब भारत में राज्य सरकार, यह दावा करते हुए कि महामारी नियंत्रण में आ गई है, कैदियों से जेल की कोठरियों में लौटने के लिए कह रही है, जबकि पिछले सप्ताह दैनिक नए संक्रमण की संख्या लगातार 25,000 से अधिक रही है।

मारुति सुजुकी के 13 कर्मचारियों की सजा और उनमें से जियालाल और पवन की मौत, दुनिया भर के मजदूर वर्ग के लिए एक चेतावनी है। पूंजीपति वर्ग और उसके नियंत्रण वाले राज्य अपने मुनाफे के हितों की रक्षा के लिए कोई भी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं और मजदूर वर्ग द्वारा अपने जीवन और काम की परिस्थितियों में सुधार के प्रयासों का विरोध करेंगे।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह भ्रष्ट यूनियन नौकरशाही से स्वतंत्र एक जुझारू आंदोलन में मजदूर वर्ग के सबसे व्यापक संगठन और लामबंदी की आवश्यकता पर एक सबक है।

मारुति सुजुकी के कर्मचारी अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) के सदस्य थे। इसने मारुति सुजुकी के कर्मचारियों की रक्षा के लिए कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की कार्रवाई बंद कराने और क्षेत्र में सैकड़ों हजार श्रमिकों की लामबंदी को रोकने के लिए काम किया।

हर मोड़ पर, जब दसियों हजार मजदूर मारुति सुजुकी के कर्मचारियों के समर्थन में कार्रवाई करने के लिए तैयार होते थे, एटक ने मजदूरों की कार्रवाई को बंद कराने के लिए हस्तक्षेप किया, और इस झूठ का प्रचार किया कि राज्य सरकार मजदूरों की ओर से मामले में हस्तक्षेप करेगी।

इस अलगाव ने मारुति सुजुकी के कर्मचारियों को एक अंतरराष्ट्रीय निगम, पुलिस और राज्य सरकार से अपने दम पर लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष में यूनियन की हार हुई, सभी 2,400 कर्मचारियों की छंटनी हुई और हड़ताल में भाग लेने वाले सैकड़ों लोगों का पुलिस द्वारा उत्पीड़न हुआ।

इस हार से यहां पेनसिल्वेनिया और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के श्रमिकों को सबक लेना चाहिए कि मजदूर वर्ग का सबसे बड़ा सहयोगी और हथियार वह खुद है। केवल संघर्ष और एकजुटता में मजदूर वर्ग की सामूहिक लामबंदी के द्वारा ही रहन-सहन और काम करने की स्थितियों में सुधार लाया जा सकता है, साथ ही कंपनियों और अदालतों द्वारा उत्पीड़न से श्रमिकों की रक्षा किया जा सकता है।

हम जियालाल की मौत और उनके साथी कर्मचारियों के उत्पीड़न में, जिनका एकमात्र अपराध अपनी आजीविका की परिस्थितियों में सुधार के लिए संघर्ष करना था, कंपनी, अदालतों, भाजपा और राज्य कांग्रेस पार्टी और एटक की मिलीभगत की कड़ी निंदा करते हैं। हम दुनिया भर के सभी शिक्षकों और श्रमिकों को जनसाधारण समितियों के अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक गठबंधन (आईडब्ल्यूए-आरएफसी) के निर्माण के आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जो हमें अकेला छोड़ देने वाली भ्रष्ट ट्रेड यूनियनों के विरोध में, जुझारू श्रमिक आंदोलन का निर्माण करेगा, जिसकी श्रमिकों को आवश्यकता है।

Loading