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Perspective

मज़दूर वर्ग और नौजवानों को आह्वानः गाज़ा में साम्राज्यवादी-ज़ायनिस्ट जनसंहार को रोको!

गाज़ा में इसराइल के जनसंहार के ख़िलाफ़ हज़ारों लोग लंदन में न्यू डाउनिंग स्ट्रीट के पास व्हाइटहाल पर इकट्ठा हुए.

अमेरिकी-नैटो धुरी में सामिल सभी साम्राज्यवादी ताक़तों की शह पर इसराइल गाज़ा में जनसंहार कर रहा है.

फ़लस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ किए जा रहे युद्ध अपराध को लेकर एक वास्तविक जन आंदोलन विकसित हो रहा है. शुक्रवार को वेस्ट बैंक, तुर्की, जॉर्डन, ट्यूनिशिया और अन्य देशों में अपने आप प्रदर्शन फूट पड़े. न्यूयॉर्क सिटी में 'ज्यूईश वॉइस फ़ॉर पीस' के सैकड़ों सदस्यों ने ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन को बंद कर दिया. इसके बाद पिछले सप्ताह दसियों लाख लोग सड़कों पर उतरे और इस सप्ताहांत दुनिया भर में बड़े बड़े प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं.

इस आंदोलन का विकसित होना और फैलना बेहद ज़रूरी है. चौथे इंटनेशनल की इंटरनेशनल कमेटी वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट को प्रकाशित करती है और यह वेब साइट हर देश में हड़तालें और अन्य प्रदर्शन आयोजित करने के लिए मज़दूर वर्ग का आह्वान करती है. शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित करने और कॉलेज और हाई स्कूल के छात्रों की ओर से तात्कालिक एकजुटता प्रदर्शन करने का हम आह्वान करते हैं.

हम इसराइल के अंदर भी विरोध प्रदर्शनों को शुरू करने का आह्वान करते हैं. इसके सैनिक, जिनमें अधिकांश रिज़र्विस्ट हैं, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत होता है, उन्हें नेतन्याहू सरकार और मिलिटरी जनरल स्टाफ़ के आपराधिक आदेशों को मानने से इनकार कर देना चाहिए.

समय नहीं बचा है. युद्ध को रोकने के लिए ज़रूरी कार्यवाही को पूंजीवादी सरकारों के राजनीतिक तीन तिकड़मों के मातहत किसी भी हालत में नहीं जाने देना होगा क्योंकि इनके इसराइली अत्यारों के ख़िलाफ़ ज़ुबानी विरोध का मकसद सिर्फ ध्यान भटकाना और किसी भी जन आंदोलन को खड़ा होने से रोकना है. इसराइल के अत्याचारों का विरोध अंतरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग में ही निहित होना चाहिए और फ़लस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता में आम राजनीतिक हड़ताल को एक ताक़तवर हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए.

गाज़ा में आपात स्थितिः

  • तीन सप्ताह पहले शुरू हुए हमले में सबसे भारी बामबारी के बीच, शुक्रवार को, इसराइल ने सारी इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी थीं. इसका मसकद बिल्कुल साफ़ है कि फ़लस्तीनियों की सामूहिक हत्या से जुड़ी खब़रों को बाहर जाने से रोका जाए जबकि ऐसी ख़बरें हैं कि टैंक ग़ज़ा में प्रवेश कर चुके हैं और ज़मीनी हमला शुरू होने वाला है.
  • इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्सेज (आईडीएफ़) ने उत्तरी ग़ज़ा में एकमात्र बचे अस्पताल अल-शिफ़ा को खाली कराने की मांग की है, जिसमें 60,000 लोगों ने पनाह ले रखी है. शुक्रवार को आईडीएफ़ ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि हमास इस अस्पताल का इस्तेमाल कर रहा है और जिस तरह उसने 17 अक्टूबर को अल-अहली अरब बैप्टिस्ट हास्पीटल को निशाना बनाकर 500 लोगों को मार डाला था, उसी तरह अल-शिफ़ा पर बमबारी को सही ठहराना चाह रहा है.
  • उत्तरी गाज़ा में रहने वाले 10 लाख से अधिक लोगों को अपने इलाके को खाली करने या मारे जाने पर मजबूर किया जा रहा है और अभी तक करीब 14 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं. इसराइल ने दक्षिणी गाज़ा में भी कई इलाकों को निशाना बनाया है, जिनमें मिस्र से जुड़ी रफ़ाह बॉर्डर क्रॉसिंग भी शामिल है. वेस्ट बैंक में भी छापे की कार्रवाई में इसराइल ने 100 से अधिक फ़लस्तीनियों की हत्या की है. 
  • लाखों लोग भुखमरी, डीहाइड्रेशन और बीमारियों के शिकार हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने भी शुक्रवार को जारी अपने बयान में तबाही की व्यापकता को स्वीकार किया है और चेतावनी दी है कि गाज़ा में मानवीय सहायता का पूरा तंत्र ठप होने वाला है और 20 लाख से अधिक आबादी के लिए इसके नतीजे बहुत गंभीर होने वाले हैं.

अमेरिका और इसकी नैटो धुरी की ताक़तें- जिनमें जर्मनी, फ़्रांस, ब्रिटेन, इटली और कनाडा शामिल हैं- इस जनसंहार में पूरे साझीदार और सहयोगी हैं. 

बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अत्याचार की व्यापकता को कम दिखाने की कोशिश की और दावा किया कि 'फ़लस्तीनी जितने लोगों के मारे जाने का दावा कर रहे हैं, उस पर उन्हें भरोसा नहीं है.' 

बाइडेन झूठ बोल रहे हैं. बड़ी संख्या में हुई मौतों के बारे में वो उससे पहले से जानते हैं, जब फ़लस्तीनी प्रशासन ने बाइडेन के जवाब में, बमबारी में अबतक मारे गए 7,000 लोगों के नामों की सूची जारी की थी. अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए फ़लस्तीनियों की हत्या, जैसा खुद बाइडेन ने कहा था- 'जंग छेड़ने का पुरस्कार' है, जिसमें हज़ारों बच्चे और महिलाएं शामिल हैं.

गुरुवार को अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव को 10 के मुकाबले 412 वोटों से पास किया जिसमें घोषणा की गई थी कि वो 'हमास और अन्य आतंकवादियों द्वारा बर्बर युद्ध शुरू करने के ख़िलाफ़ अपनी रक्षा कर रहे इसराइल के साथ खड़े हैं.' 

शुक्रवार को जब इसराइल अपनी पूरी मिलिटरी ताक़त के साथ गाज़ा पर बमबारी कर रहा था, व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने ऐलान किया कि बाइडेन प्रशासन 'इसराइल के लिए कोई लक्ष्मण रेखा नहीं खींचने जा रहा है.' दूसरे शब्दों में नेतन्याहू सरकार के पास सामूहिक हत्या करने का ब्लैंक चेक है.

निरंतर दुष्प्रचार के बावजूद पूरी दुनिया में आम मज़दूरों और युवाओं की भावना फ़लस्तीनियों के साथ है. शासक वर्ग इसराइल के जनसंहार के विरोध को दबाने की कोशिश में धमकियों पर उतर आया है. 

जर्मनी में इसराइल के जनसंहार के खिलाफ़ होने वाले अधिकांश प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है. अगर फिर भी लोग प्रदर्शन के लिए इकट्ठा होते हैं, उन पर पुलिस बर्बर तरीके से हमला करती है. प्रवासी बहुल ज़िलों की नाकाबंदी कर दी गई है. भारी हथियारों से लैस पुलिस सड़कों पर गश्त लगा रही है और जो कोई भी फ़लस्तीनी झंडा या स्कार्फ लिए हुए है, उसे हिरासत में ले रही है. 

क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन लीडर फ्रेडरिक मर्ज मांग कर रहे हैं कि केवल उन्हीं को जर्मनी की नागरिकता दी जाए जो इसराइल की सेना को समर्थन देने का ऐलान करते हैं.

फ़्रांस में मैक्रों सरकार ने प्रदर्शनों को प्रतिबंधित करने के लिए पुलिस को अधिकार और प्रोत्साहन दिया है. पेरिस पुलिस प्रीफ़ेक्ट ने शुक्रवार को कहा कि रविवार को आयोजित होने वाले प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने की वो पूरी कोशिश करेंगे. महज फ़लस्तीनी झंडा लिए हुए भी प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया है और उनपर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है.

ब्रिटेन में सरकार के अंदर से ही मांग उठ रही है कि प्रदर्शनों पर पाबंदी लगाई जाए. विश्वविद्यालयों में प्रशासन ने किसी भी मीटिंग पर पाबंदी लगा दी है और प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले छात्रों को निलंबित किया जा रहा है.

अमेरिका में सीनेट ने गुरुवार को एकमत से प्रस्ताव पास किया है जिसमें 'आतंकवादियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित' करने और 'यहूदीवाद विरोध' को बढ़ाने के लिए छात्रों की निंदा की गई. इसमें हर सीनेटर, चाहे वो डेमोक्रेट हो या रिपब्लिकन, सभी ने एक स्वर से समर्थन दिया. इस प्रस्ताव को फासिस्ट रिपब्लिकन सीनेटर जोश हॉवले ने पेश किया था, जिसमें ख़ासतौर पर हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और स्टूडेंट्स फ़ॉर जस्टिस इन पैलेस्टाइन के छात्र संगठनों का नाम लिया गया था.

यह प्रस्ताव फ़्लोरिडा के फ़ासीवादी गवर्नर रॉन डीसैंटिस के उस अदेश के दो दिन बाद ही पास हुआ, जिसमें राज्य के यूनिवर्सिटी सिस्टम से सभी स्टूडेंट्स फ़ॉर जस्टिस इन पैलेस्टाइन को प्रतिबंधित करने का फरमान जारी किया गया था.

ये दावा करना कि इसराइल की कार्रवाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करना यहूदीवाद विरोध है, एक निराधार बकवास है. ये तर्क उन सरकारों की ओर से दिए जाते हैं जिन्होंने फासीवाद और यहूदी विरोध का माहौल बनाया और उसे हवा दी. जर्मनी में फ़ासीवादी और यहूदी विरोधी पार्टी अल्टरनेटिव फ़ुर ड्यूशेलैंड (एएफ़डी) बंडस्टैग में सबसे ताक़तवर पार्टी है. 

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की अगुवाई फासीवादियों का गैंग करता है, जिसमें हॉवले खुद एक हैं, जो ट्रंप के छह जनवरी के तख़्तापलट के मुख्य साज़िशकर्ता हैं. इसराइल के जनसंहार का विरोध करने वाले छात्रों की निंदा करने के लिए ऐसी ताक़तों के साथ डेमोक्रेट ने हाथ मिला लिया. 

यूक्रेन को लेकर रूस के खिलाफ़ अपने युद्ध में अमेरिका-नैटो गठबंधन ने यूक्रेनी सरकार में मौजूद फासीवादियों को हथियारबंद किया और उन्हें बढ़ावा दिया. ये फासीवादी स्टेपान बैंडेरा को अपना नेशनल हीरो मानते हैं जो कि फासीवादी यूक्रेनी राष्ट्रवादियों के संगठन का सरगना हुआ करता था और उसने द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदियों के कत्लेआम में नाज़ियों का साथ दिया था. पिछले महीने कनाडा की संसद ने योरोस्लाव हुंका का ज़बरदस्त स्वागत किया जोकि यूक्रेनी वाफ़ेन-एसएस का सदस्य था. इसी वाफ़ेन एसएस ने यहूदियों के सामूहिक जनसंहार को अंजाम देने में हिस्सा लिया था. 

यही नहीं बड़े बड़े प्रदर्शनों में यहूदी वर्करों की अच्छी ख़ासी संख्या भी शामिल थी, जो नेतन्याहू सरकार के अपराधों के साथ सभी यहूदी लोगों को जोड़ने की कोशिशों से आक्रोशित हैं. 

गाज़ा में इसराली जनसंहार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन को और विस्तारित और व्यापक करना होगा. गाज़ा में जो कुछ दुनिया देख रही है, वो अपने सबसे बर्बर स्वरूप में सम्राज्यवादी और पूंजीवादी बर्बरता है.

फ़लस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ युद्ध असल में अमेरिकी-नैटो धुरी के द्वारा वैश्विक युद्ध को फैलाने की एक निरंतरता और विस्तार है, जो यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ छद्म युद्ध की जांच से शुरू हुआ था. 

अमेरिका भूमध्य सागर में हमला करने की क्षमता रखने वाली भारी फौज तैनात कर रहा है, जिसमें दो विमान वाहक पोत हैं, ताकि ईरान के ख़िलाफ़ युद्ध की तैयारी की जा सके और युद्ध भड़काया जा सके.

ईरान के ख़िलाफ़ युद्ध में इसराइल के पूरी तरह शामिल होने की ज़रूरत के मद्देनज़र अमेरिका ने इसराइल को जंग के अगले दौर के लिए ज़रूरी तैयारियों के रूप में फ़लस्तीन की ओर से सभी प्रतिरोधों को ख़त्म करने की हरी झंडी दे दी है. 

पूंजीवादी अभिजात्य शासक वर्ग की ओर से की जा रही निर्दयी तबाही के ख़िलाफ़ सभी प्रकार के विरोधों को ख़त्म करने के लिए साम्राज्यवादी हिंसा का विस्फोट दुनिया के मज़दूर वर्ग को लगातार अपने निशाने पर ले रहा है. 

यह मज़दूर वर्ग ही है जिसे साम्राज्यवादी युद्ध के ख़िलाफ़ लामबंद होना ही होगा. डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस इसराइल को भेजे जा रहे उन सभी सामानों के शिपमेंट को रोकने के लिए मज़दूर वर्ग की कार्रवाई का समर्थन करता है, जिसका पूरी संभावना है कि सैन्य इस्तेमाल किया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग की विशाल सामाजिक शक्ति को एक राजनीतिक आम हड़ताल में लामबंद होना होगा.

गाज़ा में इसराइली बमबारी पर तत्काल रोक लगाने और सभी इसराइली सेना को तुरंत वहां से हटने और गाज़ा की सीमा से उन्हें हटाने की मांग वर्करों को करनी होगी. गाज़ा की घेरेबंदी को ख़त्म करना होगा और भोजन, पानी, बिजली, दवा और अन्य ज़रूरतों को तुरंत मुहैया कराना होगा. नेतन्याहू, स्कोल्ज़, बाइडेन, सुनक, मेलोनी, मैक्रों और अमेरिका-नैटो धुरी के सभी अगुआ लोगों पर इस जनसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध में शामिल रहने के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

शासक वर्ग की सभी राजनीतिक पार्टियों और सभी पूंजीवादी सरकारों के ख़िलाफ़ मज़दूरों का एक जनआंदोलन शुरू करना होगा. इसके अलावा पश्चिम एशिया के वर्करों को अपनी बुर्जुआ सरकारों द्वारा फलस्तीनियों के पक्ष में खड़े होने के अपने अधिकार को नियंत्रित नहीं करने देना चाहिए. इन सरकारों ने इसराइल के साथ संबंध विकसित किए और फ़लस्तीनियों को अलग थलग कर उन्हें धोखा दिया है. 

युद्ध विरोधी आंदोलन की ताक़त और सफलता पूरी दुनिया में मज़दूर वर्ग और सामजवादी आंदोलन के मजबूत होने पर निर्भर करती है. यही वो नज़रिया है जिसके लिए चौथे इंटरनेशनल की इंटरनेशनल कमेटी और इससे जुड़ी सोशलिस्ट इक्वेलिटी पार्टियां संघर्ष कर रही हैं. 

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