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एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति की 1260 करोड़ रुपये की प्री-वेडिंग पार्टीः मज़दूरों और गांव के ग़रीबों के सामने अरबपतियों का अश्लील तमाशा

21 मार्च 2024, को अंग्रेजी में प्रकाशित 'US$152 million “pre-wedding” bash of Asia’s richest man shows contempt of billionaires toward workers and rural poor' लेख का हिंदी अनुवाद.

एक तरफ़ जब करोड़ों ग़रीब लोग बिना ठीक से दो जून की रोटी और यहां तक कि साफ़ पानी के, जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, अरबपति मुकेश अम्बानी ने अपने सबसे छोटे बेटे अनंत के लिए 1261 करोड़ रुपये पानी की तरह बहाकर तीन दिनों तक प्री वेडिंग पार्टी का तमाशा किया. शादी 12 जुलाई को होनी है, उस पर कितना खर्च किया जाएगा अभी देखा जाना बाकी है. साल 2018 में उन्होंने अपनी बेटी इशा की शादी की, जिस पर 830 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, उसमें शामिल होने वाले मेहमानों में अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और जॉन केरी भी थे.

मुकेश अम्बानी पूरी दुनिया में 10वें सबसे बड़े और भारत और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और फ़ोर्ब्स की अरबपतियों की लिस्ट में उनकी कुल दौलत 116 अरब डॉलर से अधिक आंकी गई है. अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ एक विशाल कांग्लोमरेट कंपनी है, जिसकी सालाना आमदनी 100 अरब डॉलर है जिसमें पेट्रोकेमिकल से लेकर तेल एवं गैस, टेलीकॉम और रिटेल का व्यवसाय शामिल है.

अन्य संपत्तियों के अलावा अम्बानी परिवार, भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक अरब डॉलर क़ीमत की एक 27 मंजिला इमारत एंटीलिया का मालिक भी है. यह वही शहर है जहां दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी झोपड़ी वाला इलाका धारावी भी है जहां 2.39 वर्ग किलोमीटर के दायरे में 10 लाख लोग रहते हैं. एंटीलिया में तीन हेलीपैड भी हैं, इसमें 160 कार गैराज हैं, एक प्राइवेट सिनेमा हाल है, एक स्वीमिंग पूल और एक जिम भी है.

बीते एक से तीन मार्च के बीच आलीशान तीन दिवसीय सगाई समारोह, इस परिवार के शहर जामनगर में आयोजित हुआ. यह गुजरात का वो शहर हैं जहां छह लाख लोग लगभग रेगिस्तान वाले इलाके में रहते हैं. यहीं पर अम्बानी परिवार की मुख्य ऑइल रिफ़ाइनरी भी है.

यह पूरा कार्यक्रम इस तरह आयोजित किया गया था कि बेशुमार पैसे, ख़ासकर अम्बानी परिवार और आम तौर पर भारत के सुपर रिच (अति अमीर) लोगों के आलीशान शानों शौकत वाले रहन सहन का भरपूर दिखावा हो सके. अम्बानी परिवार ने 1200 अमीरों को न्यौता भेजा था, जिसमें बिल गेट्स, गौतम अडानी, मार्क ज़ुकरबर्ग जैसे अरबपति और इवांका ट्रंप, पॉप स्टार रिहाना और उनके जैसे अन्य लोग भी थे.

मेहमान नई दिल्ली और मुंबई से चार्टर्ड प्लेन में यहां पहुंचे और उनके लिए हेयर स्टाइलिक्ट, मेकअप आर्टिस्ट और पोशाक को और खूबसूरत बनाने वालों को काम पर लगाया गया था. जामनगर एयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार, इस समारोह में क़रीब 130 उड़ानें पहुंचीं. फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम समेत सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर इस उत्सव के वीडियो वायरल हो गए और प्रमुख अख़बारों और समाचार चैनलों ने इस समारोह की जमकर रिपोर्टिंग की.

रायटर्स के मुताबिक, मेहमानों को हर चीज की विस्तृत जानकारी दी गई थी, जिसमें विभिन्न उत्सवों के लिए नौ पन्नों का लिखित ड्रेस कोड दिया गया. ड्रेस कोड में 'जंगल फ़ीवर' थीम थी और साथ ही एक थीम में 'चकाचौंध' करने वाले भारतीय पोशाकों का पहनावा भी शामिल था. तीन दिनों तक हज़ारों मेहमान लक्ज़री टेंटों में रुके हुए थे और उन्हें रिलायंस ग्रीन कॉम्प्लेक्स के अंदर भव्य रूप से सजाई गई जगहों पर शानदार कॉकटेल और डिनर पार्टियां दी गईं. यहां उन्हें उनकी मनपसंद के 2500 प्रकार के व्यंजन परोसे गए, जिन्हें तैयार करने के लिए 100 से अधिक शेफ़ लगाए गए थे. सिर्फ कैटरिंग के ठेके पर 207 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

शानदार समारोह से छन कर सामने आने वाली सोशल मीडिया पोस्टों में दिखा कि इन अति-अमीरज़ादों को करोड़ों भारतीय मज़दूरों और ग़रीबों की ख़स्ता हालत की कोई परवाह नहीं है. इसी तरह का एक वीडियो मेटा (फ़ेसबुक) के सीईओ ज़ुकरबर्ग और उनकी 'दानदाता' पत्नी प्रिसिलिया चान का था जिसमें वो अम्बानी के बेटे अनंत की क़रीब सवा करोड़ रुपये की पोशाक की तारीफ़ों के पुल बांध रहे हैं. इस अमेरिकी अरबपति ने कहा, 'पता है, मैंने कभी एक घड़ी भी खरीदना पंसद नहीं किया था, लेकिन ये देखने के बाद मुझे लगा, घड़ियां फबती हैं.'

करोड़ों प्रशंसकों वाले हॉलीवुड के बड़े नाम भी यहां थे, और ये स्टेज पर अम्बानी परिवार के साथ नाचते-थिरकते दिखे और किसी को भी ये फ़िक्र नहीं थी कि उनकी दौलत के द्वीप के बाहर करोड़ों ग़रीब लोगों के साथ क्या घट रहा है. पॉप सिंगर रिहाना को उत्सवों में उनके परफ़ार्मेंस के लिए 60 से 70 करोड़ रुपये दिए गए.

यह कार्यक्रम, एक अरब से अधिक मज़दूरों और उत्पीड़ित भारतीयों की दुर्दशा के प्रति भारत के पूंजीपति अभिजात वर्ग की घोर उदासीन को दर्शन कराता है. इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आमंत्रित किए गए लोगों में से एक थे. हालांकि उन्होंने रणनीतिक वजहों से इस समारोह में शामिल होने से परहेज किया, क्योंकि भारत के अति अमीरों के साथ सार्वजनिक रूप से दिखना उनके और उनकी हिंदू बर्चस्ववादी भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदायक साबित होता. क्योंकि वो और उनकी पार्टी 19 अप्रैल से एक जून तक होने वाले आगामी आम चुनावों में तीसरा कार्यकाल पाने के लिए जोर लगा रही है. कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल पहले ही मोदी पर अम्बानी और भारत के दूसरे सबसे अमीर अरबपति गौतम अडानी को जमकर मदद देने को लेकर क्रोनी यानी याराना पूंजीवाद का आरोप लगा चुके हैं.

इसके बावजूद इस खर्चीले कार्यक्रम के लिए मोदी सरकार की सरपरस्ती साफ़ दिखाई दे रही थी. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सरकार ने आयकर दाताओं के पैसे से जामनगर के एक छोटे से घरेलू एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट में बदल डाला और मेहमानों को यहां उनके प्राइवेट जेट उतारने की इजाज़त दे दी. यही नहीं, 'इस सरकारी एयरपोर्ट का विस्तार किया गया, कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी गई और इंडियन एयर फ़ोर्स ने अतिरिक्त सैन्यकर्मियों को तैनात किया- यह सब कुछ एक परिवार के एक निजी कार्यक्रम के लिए किया गया.'

नई दिल्ली में एक भीड़भाड़ वाले इलाके में फ़ुटपाथ पर खाना खाते लोग. (एपी फ़ोटो/अल्ताफ़ क़ादरी) [AP Photo/Altaf Qadri]

मोदी की निवेश समर्थक और मज़दूर वर्ग विरोधी नीतियों की बदौलत ही अरबपतियों ने अपने दौलत के पहाड़ को कई गुना ऊंचा कर लिया है. इसे समझने के लिए आप को सिर्फ 2014 में अम्बानी की दौलत (23.4 अरब डॉलर) पर नज़र डालनी चाहिए, जब मोदी पहली बार सत्ता में आए ही थे. अब उन्होंने अपनी दौलत में पांच गुना का इजाफ़ा कर लिया है. एक उदाहरण देते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स ने दूरसंचार उद्योग पर अम्बानी के दबदबे का ज़िक्र किया, जिसमें 'इस अरबपति ने मोदी के सत्ता में आने के बाद बेशुमार पैसा लगाया और अब 70 समाचार चैनलों का मालिक बन बैठा है, जिसके साप्ताहिक दर्शकों की कुल संख्या 80 करोड़ है.' इसके बदले 'इनमें से अधिकांश समाचार चैनल मोदी का गुणगान कर रहे हैं और उनका चरणवंदन कर रहे हैं.'

मोदी सरकार के तहत, जोकि तीसरा कार्यपाल पाने का जोर लगा रही है, भारत के अमीर, करोड़ों मज़दूरों और ग़रीबों की क़ीमत पर और अधिक अमीर बन गए हैं. विश्व गैर बराबरी की 2022 की रिपोर्ट (वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट) में लिखा गया हैः 'भारत दुनिया के सबसे अधिक गैरबराबरी वाले देशों में से एक है.' ऑक्सफ़ैम ने पाया कि 'देश के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोग देश कील कुल दौलत के 72 प्रतिशत के मालिक हैं, शीर्ष पांच प्रतिशत कुल दौलत के 62 प्रतिशत पर कब्ज़ा किए हुए हैं और शीर्ष एक प्रतिशत अमीर भारत की 40.6 प्रतिशत दौलत के मालिक हैं.'

अरबपति गौतम अडानी को अभी कुछ हफ़्ते पहले तक एशिया के सबसे धनी व्यक्ति (उससे पहले उन्होंने अम्बानी को पछाड़ा था) के रूप में प्रचारित किया जा रहा था. वो मोदी के सबसे क़रीबी दोस्त हैं. ऑक्सफ़ैम के मुताबिक, 'कोरोना माहामारी के दौरान ही अडानी की संपत्ति में आठ गुना की बढ़ोत्तरी हुई थी और अक्टूबर 2022 में दो गुनी होकर 10.96 लाख करोड़ (132.48 अरब डॉलर) हो गई, जिसके बाद वो भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए थे.'

लेकिन ग़रीबों के हालात बिल्कुल ही अलग हैं. ऑक्सफ़ैम ने पाया कि कोरोना महामारी के दौरान सबसे निचले तबके की देश की आधी आबादी की आमदनी और दौलत दोनों में भारी गिरावट आई. अनुमान लगाया गया कि 2020 तक राष्ट्रीय आमदनी में उनकी हिस्सेदारी गिरकर 13 प्रतिशत हो गई और कुल दौलत में हिस्सेदारी 3 प्रतिशत रह गई. रिपोर्ट में लिखा है कि इसका असर ये हुआ कि 'खाने पीने में भयंकर कटौती करनी पड़ी, कर्ज़ बढ़ गया और मरने वालों की संख्या बढ़ गई.'

अभी भी देश में दुनिया के सबसे अधिक ग़रीब लोग हैं, जिनकी संख्या 22.89 करोड़ है. दूसरी तरफ़ भारत में अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 के मुकाबले 2022 में 166 हो गई. भारत के अमीरों की कुल दौलत 54,120 अरब रुपये (630 अरब डॉलर) पहुंच गई है. भारत के टॉप 10 अमीरों की दौलत 27,520 अरब रुपये (332 अरब डॉलर) है जोकि 2021 के मुकाबले 32.8 फीसदी अधिक है.

एक तरफ़ अम्बानी परिवार और अन्य भारतीय अरबपति अपने विशाल दौलत का जश्न मना रहे हैं, 2023 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट (भूख सूचकांच रिपोर्ट) में भारत दुनिया के 125 देशों में 111वें पायदान पर खिसक गया है. इससे नीचे आने वाले देशों में अफ़ग़ानिस्तान, कांगो, यमन और सूडान जैसे ही देश बचे हैं. और यही नहीं, भारत की गिनती उन 40 देशों में है जहां वैश्विक भुखमरी का स्तर बहुत 'गंभीर' करार दिया गया है. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में बच्चों की 'वेस्टिंग' (लंबाई के हिसाब से कम वजन) दर दुनिया भर में सबसे ज्यादा यानी 18.7 प्रतिशत है, जो गंभीर कुपोषण का द्योतक है. वहीं, भारत में 15 से 24 वर्ष की औरतों में एनीमिया की व्यापकता एक बड़ी समस्या है. देश में 50 प्रतिशत से अधिक औरतें और किशोरियाँ एनीमिया से पीड़ित हैं, जिसकी दर दुनिया में सबसे अधिक है.

ये कुछ ही संकेतक हैं जो भारत में कामकाजी लोगों और उत्पीड़ितों में भयंकर ग़रीबी को दिखाते हैं. लेकिन मोदी सरकार और भारतीय प्रभुत्व वर्ग करोड़ों लोगों के इन हालात के बारे में कोई भी फ़िक्र नहीं जताता. यही वो शासक वर्ग है जिसने कोविड-19 महामारी को असुरक्षित भारतीय आबादी में फैलने दिया, जिसकी वहज से अनुमानतः 50 से 60 लाख लोगों की मौत हो गई.

कुछ चंद अरबपतियों के हाथों बेशुमार दौलत इकट्ठा होने का ख़ात्मा करना और इन पैसों का इस्तेमाल करोड़ों भारतीय मज़दूरों और ग़रीबों की दयनीय जीवन स्थितियों में सुधार लाने के लिए करना ज़रूरी है. यह केवल भारतीय मज़दूर वर्ग की समाजवादी क्रांति के माध्यम से किया जा सकता है, जिसमें गांव के गरीबों को अपने साथ शामिल किया जाए, पूंजीपति वर्ग के शासन को उखाड़ फेंका जाए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समाजवाद के लिए संघर्ष के एक हिस्से के रूप में सत्ता अपने हाथों में ले ली जाए.

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