नेल्ली जनसंहार में भारत की मौजूदा सत्तारूढ़ हिंदू बर्चवस्ववादी बीजेपी ने बड़ी भूमिका निभाई थी. बांग्लादेश से आए बेहद ग़रीब विस्थापित शरणार्थियों के ख़िलाफ़ "अवैध विदेशी" के नाम पर बड़े पैमाने पर सामप्रदायिक भड़काऊ अभियान के कारण यह जनसंहार हुआ था.
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तीसरा कार्यकाल पाने के लिए मोदी का भरोसेमंद भ्रष्ट, दक्षिणपंथी चरित्र वाला विपक्ष
भारत में शुक्रवार को 100 लोकसभा क्षेत्रों में पहले चरण का मतदान होगा। सात चरणों में हो रहा आम चुनाव एक जून को सम्पन्न होगा।
राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ तिकड़मी और फ़र्ज़ी आरोपों का इस्तेमाल करने के लिए मोदी सरकार कुख्यात है. लेकिन 2024 का चुनाव क़रीब आते ही, अपने बुर्जुआ विरोधियों पर हमले, सामाजिक विरोध का दमन और सांप्रदायिकता भड़काने के लिए अपने पास मौजूद सभी संस्थाओं का हर तरह से इस्तेमाल करने में मोदी सरकार और बेहयाई पर उतर गई है.
लगातार चीन विरोधी आक्रामकता को बढ़ाते हुए भारत, बीजिंग को चौतरफा घेरने के लिए वॉशिंगटन के पालतू कुत्ते जैसा व्यवहार कर रहा है.
विश्व बैंक के इशारे पर किए गए आर्थिक सुधारों ने, श्रीलंकाई सरकारी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का निजीकरण करने और बड़े पैमाने पर नौकरियों को ख़त्म करने के साथ कड़ी मेहनत से होने वाली कमाई और काम के हालात पर और तीखा हमला बोला है.
कुछ चंद अरबपतियों के हाथ में जमा हुई अकूत दौलत का ख़ात्मा होना चाहिए और इन पैसों का इस्तेमाल करोड़ों भारतीय मज़दूरों और ग़रीबों की दयनीय जीवन स्थियों को सुधारने में किया जाना चाहिए.
एक तरफ़ श्रीलंकाई सरकार ने एक भारतीय पनडुब्बी का स्वागत किया है और चीन के रिसर्च जहाज को अपने यहां आने से मना कर दिया है, वहीं मालदीव प्रशासन ने चीनी पोतों के लिए अपने बंदरगाहों को खोल दिया है.
मोदी सरकार ने हज़ारों पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को तैनात कर, कंक्रीट के बड़े बड़े ब्लॉक और कंटीले तारों से कई स्तरों वाले बैरिकेड खड़े कर, इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध लगाकर और ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराकर एक तरह से किसानों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी है.
यह घोषणा भारतीय मज़दूरों के अंदर इसराइली जनसंहार के ख़िलाफ़ गहरे गुस्से का संकेत है. क्योंकि इसराइल अमेरिका के दिए हथियारों और वॉशिंगटन के पूर्ण राजनीतिक समर्थन से हज़ारों फ़लस्तीनियों पर कहर ढा रहा है.
हिंदू बर्चस्ववादी राज्य बनाने के लिए भारतीय सत्ताधारी वर्ग और साम्राज्यवादी शक्तियां मोदी को गले लगा रहीं
ग़ज़ा पर जनसंहारक हमले को बढ़ाने वाले इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनकी धुर दक्षिणपंथी सरकार और उसकी यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने वाले स्टेपान बांडेरा के फासीवादी गुर्गों के साथ साठगांठ का खुल कर समर्थन करने के लिए साम्राज्यवादी शक्तियां हिंदू बर्चस्ववादी और जनसंहारक मोदी को गले लगा रही हैं.
मज़दूर वर्ग और नौजवानों को आह्वानः गाज़ा में साम्राज्यवादी-ज़ायनिस्ट जनसंहार को रोको!
हर देश में मज़दूर वर्ग द्वारा हड़तालें और प्रदर्शन की अन्य कार्यवाहियों के लिए डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस का आह्वान. शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित करने और कॉलेज और हाईस्कूल छात्रों की ओर से तात्कालिक एकजुटता प्रदर्शन का हम आह्वान करते हैं.
भारत के कट्टर दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री मोदी के शाही स्वागत में बाइडेन का बिछ जाना
यूक्रेन में युद्ध को भरपूर हवा देते हुए, अमेरिकी साम्राज्यवाद चीन के साथ हिंसक टकराव के लिए कमर कस रहा है. क्योंकि चीन को उसने अपना प्रमुख रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी घोषित कर रखा है.
यूक्रेन के जवाबी हमले साथ ही सीधी दखलंदाज़ी के और क़रीब पहुंचा नेटो
रूस के ख़िलाफ़ अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य गठबंधन के तेजी से फैल रहे युद्ध में लिथुआनिया के विलनियस में 11-12 जुलाई को नेटो की बैठक आग में और घी डालेगी.